पल जब इंतज़ार का हो
कुछ इस तरह इंतज़ार करना
जैसे जहां में तेरे लिए
बस मैं ही हूँ..बस मैं ही हूँ ..
हर बार सावन की बारिशों में
ऐसे मेरा एहसास करना..
तुम पर टपकती बूँद में
बस मैं ही हूँ..बस मैं ही हूँ ...
पल जब इंतज़ार का हो ....
ग़र मैं कभी गिर पडूं
वक्त के दिए हालात से
ऐसे मुझे संभाल लेना...
जैसे की तेरा हौसला
बस मैं ही हूँ..बस मैं ही हूँ ..
पल जब इंतज़ार का हो ....
दुनिया की भागा दौड़ी में
उलझा जो तुमको दिखूं मैं
कुछ ऐसे मुझे समेट लेना..
जिसे तुम्हारे एकांत में
बस मैं ही हूँ ..बस मैं ही हूँ ...
पल जब इंतज़ार का हो...
दुनिया के हजारों रंगों में
ग़र मैं कभी फीका लगूं
ये सोच अकेला न छोड़ना..
जैसे तुम्हारी रंगीनियत
बस मैं ही हूं..बस मैं ही हूँ ..
पल जब इंतज़ार का हो ....
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