Friday, February 20, 2015

मैं कविता कहना चाहता हूँ

           
मैं कविता कहना चाहता हूँ
हर बार
हर उस बार.. जब मुझे
सच बोलने के लिए दिया जाता है ज़हर
जब भी एकाकार किया जाता है सूली से
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ..

जब भी सच किया जाता है नज़रबंद
झूठ को किया जाता है बाइज्ज़त बरी
जब ज्ञान को विज्ञान बनने से रोका जाता है

जब चढ़ाया जाता है तख़्त-ए-फांसी
'अनलहक' कहने पर
जब बुल्लेशाहों को होती है सज़ा
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
हाँ तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

जब रोटी खरीद पाने की असमर्थता में
किसी देह को बिकते, रौंदे जाते पाता हूँ
जब चिलचिलाती सर्दी में
चाय के अनमंजे गिलासों और चमचमाते बर्तनों के बीच दबी
मासूम की स्कूल की फीस देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

मोहल्ले भर की साड़ियों में
फौल लगाती एक माँ की आधी भरी गुल्लक और
उसकी सूती धोती के छेदों में से जब
बच्चों के भविष्य की किरणें निकलते देखता हूँ
जब दूध की उफनती कीमतों और
चश्मे के बढ़ते नंबर में देखता हूँ समानुपात
जब चार दीयों के बीच
नकली खोये सी दिवाली देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

जब किसी के साल भर के राशन की कीमत
ज़मीं से दो फुट ऊपर चलने वालों के
साल के आख़िरी और पहले दिन के बीच के
तीन-चार घंटों में उड़ते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

जब महसूसता हूँ एक रिश्ता
तकलीफ से इंसान का
जब निर्वाचित पिस्सुओं को
अवाम की शिराओं से रक्त चूसते देखता हूँ
जब शक्ति को शोषक का पर्याय होते देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

जब एक मॉल की खातिर
सब्जियों, फलों और अनाज के हक की ज़मीनों पर
सीमेंट पड़ते देखता हूँ
कागजी लाभों वाले बाँध के लिए
मिटते देखता हूँ जंगलों, गाँवों के निशान
गरीब के खेत औ घर का सरकारी मूल्य
अफसर के मासिक वेतन से कम देखता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ

ये कविता अमर नहीं होना चाहती
और ना ही कवि...
फिर भी जब सम्मान-अपमान से विलग हो
कुछ करना चाहता हूँ
तब मैं कविता कहना चाहता हूँ
या शायद कहना ना भी चाहूँ तब भी
कविता कहलवा लेती है खुद को

ये कवितायें लाना चाहती हैं परिवर्तन
निर्मित करना चाहती हैं नई मनुष्यता

मैं बीज की सी कविता रचना चाहता हूँ
क्रान्ति की नींव रखना चाहता हूँ
क्योंकि जानता हूँ
कल मैं रहूँ ना रहूँ
ये वृक्ष बनेगी एक दिन
एक दिन इस पर आयेंगे फल संभावनाओं के
एक दिन वक़्त का रंगरेज़ आज के सपने को
हकीकत के पक्के रंग से रंगेगा जरूर...

Monday, February 16, 2015

ZINDAGI...........

Zindagi ek khel hai jyada serious mat lena,

Khus hokar jiyo tum Mat kabhi Rona,

Paas Fail hona koi badi baat nahi hoti,

Date raho pich par yahi baat khas hogi,

Nirash mat ho tum lyf me bahut se eventbaaki hai,

Jinme tumhe apni kala dikhani hai,

Problem ko pakad kar rone se kuch nahi milta,

Solution jo dhundh le use hi kahte hai duniya me jeeta,

Aa rahi hai koi ghadi jo apka naam gayegi,

Duniya bhi us din apko SALAm karte jayegi,

Safal ho gaye to aachi baat hai,

Na bhi hue to aur bhi khas hai,

Dhyan apna keval life ke upar rakho,

Dil se jiyo mat tum dukhi ho,

Asan hai iss life me jeena doston,

Life waha tak nahi hai jaha ap sochte ho,

Life wo hai jaha se ap sochna khtm karte ho,

Bus khus raho hanskar aur hans kar jiyo.....................................


DUNIYA ME KOI TAKAT APKO HARA NAHI SAKTI BUS YAH TUM DHYAN RAKHO..............


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इंतज़ार

                                                                पल जब इंतज़ार का हो  कुछ इस तरह इंतज़ार करना जैसे जहां में तेरे लिए बस मैं ही ...