Saturday, April 11, 2015

बचपन........

नाज़ुक डाली सी काया, कोमल कली सा मन
निर्मल निश्छल नीर सा, नटखट नादान बचपन

एक पल अठखेलियाँ दूजे पल अनबन
वेदमन्त्र- अज़ान सा, पवित्र-पाक-पावन

कौतूहल से फैलती, छोटी-छोटी आँख
चाँद-सितारे छूने को सपने है बेताब

बाबा की अँगुली नहीं, है मुट्ठी में आकाश
ममता के आँचल तले, स्वर्ग सा अहसास

छल-कपट से कोसों दूर, बचपन की हर बात
परीलोक सी दुनिया में, इन्द्रलोक सी रात

बाबा का कुरता- चप्पल, पहन उन्हीं सा इठलाना
बाहर की दुनिया माँ को, अपनी आँखों से दिखलाना

बुलबुलों में साबुन के, इन्द्रधनुष भर लाते थे
डाल चवन्नी गुल्लक में, धन्ना सेठ बन जाते थे

मन के कोरे कागज़ पर, रंग कई बिखराएगा
लम्हा-लम्हा बचपन का, पल-पल बीत जायेगा

बचपन की इमली-अमिया, बसाये रखना ख्वाबों में
जैसे सूखे फूल संजो के, रखे हों किताबों में

धरती हमारी माता है,............


माता को प्रणाम करोबनी रहे इसकी सुंदरता,

ऐसा भी कुछ काम करोआओ हम सब मिलजुल कर,

इस धरती को ही स्वर्ग बना देंदेकर सुंदर रूप धरा को,

कुरूपता को दूर भगा देंनैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,

नैतिकता से काम करेंगंदगी फैला भूमि परमाँ को न बदनाम करें माँ

तो है हम सब की रक्षकहम इसके क्यों बन रहे

भक्षकजन्म भूमि है पावन भूमि,

बन जाएँ इसके संरक्षककुदरत ने जो दिया धरा कोउसका सब सम्मान करोन छेड़ो इन उपहारों को,

न कोई बुराई का काम करोधरती हमारी माता है,

माता को प्रणाम करोबनी रहे इसकी सुंदरता,

ऐसा भी कुछ काम करो

अपील:- विश्व धरा दिवस के अवसर पर आओ हम सब धरा को सुन्दर बनाने में सहयोग देंहमारी धरती की सुन्दरता को बनाए रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है....... 

इंतज़ार

                                                                पल जब इंतज़ार का हो  कुछ इस तरह इंतज़ार करना जैसे जहां में तेरे लिए बस मैं ही ...