Thursday, March 23, 2017

मैंने ख़ुशी खरीद ली…

रुई का गद्दा बेच कर
मैंने इक दरी खरीद ली,
ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने
और ख़ुशी खरीद ली ।
सबने ख़रीदा सोना
मैने इक सुई खरीद ली,
सपनो को बुनने जितनी
डोरी ख़रीद ली ।
मेरी एक खवाहिश मुझसे
मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फिर उसकी हंसी से मैंने
अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।
इस ज़माने से सौदा कर
एक ज़िन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और
शामें खरीद ली ।
शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से
और कुछ कम किये, 
फ़िर सस्ते में ही
“सुकून-ए-ज़िंदगी” खरीद ली ।

खुदा ये बचपन क्यों…

APne Bachpan K naam ye kavita sabko samarpit..

कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता,
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता…
सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलाने,
अब तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता..
वो पक्के रंग, वो पिचकारियां, वो गुलाल,
अब वो वैसा होली का त्यौहार नहीं आता…
वो करतब जमूरे के, वो साइकल चैम्पियन,
अब गली में कोई ऐसा फनकार नहीं आता…
वो जिद खिलोने की वो चॉकलेट के लिए लड़ना,
अब वो पापा की डांट माँ का इंकार नहीं आता…
वो होमवर्क के लिए मार वो टीचर से चुगली,
खुदा ये बचपन क्यों बार बार नहीं आता…!

चार लोग क्या कहेंगे…

doston ye kavita ek beti ki kwaahish k  naam se dedicate kar rha hu..

बेटी बोली -
माँ मैं क्रिकेटर बनूँगी,
सचिन की तरह रिकॉर्ड तोडूंगी !
माँ बोली -
आहिस्ता बोल सब हसेंगे,
और फिर चार लोग क्याकहेंगे !!
बेटी बोली –
माँ मैं बाबा का व्यापार चलाऊँगी,
छोटी सी दुकान से बड़ा दफ्तर बनाउंगी!
माँ बोली –
आहिस्ता बोल बाबा गुस्सा करेंगे,
और फिर चार लोग क्याकहेंगे !!
बेटी बोली –
तो माँ मैं नेता बन जाऊंगी,
देश की हालत में कुछतो सुधार लाऊंगी !
माँ बोली –
कुर्सी तक पहुँचने से पहले ही सब नोंच लेंगे,
और फिर चार लोग क्याकहेंगे !!
बेटी बोली –
तो माँ मैं क्या करूँ,
बस यूँहीं अपनी ख्वाहिशों को दफ़न करती रहूँ ?
माँ बोली –
बेटी तू शादी करले,
तेरे ससुराल वाले तुझसे खूब मोह जताएंगे !
बेटी बोली –
माँ झूठ न बोल,
ना छीन मुझसे मेरे ये पल अनमोल !
शादी करके मैं फंस जाऊंगी,
सिर्फ बच्चा पैदा करने की मशीन कहाऊंगी !
तू कुछ कर ना पाएगी, बेटी परायी होते ही तेरे
हाथ बांध जायेंगे,
मेरे भी हाथ पति और बच्चों के मोह से बांध दिए
जायेंगे !
मेरे सारे सपने शादी के लिबास से दफ़न कर दिए
जायेंगे,
और फिर तेरे वो चार लोग भी मुझे न
बचा पाएंगे !!

इंतज़ार

                                                                पल जब इंतज़ार का हो  कुछ इस तरह इंतज़ार करना जैसे जहां में तेरे लिए बस मैं ही ...