Saturday, April 22, 2017

Aahistey chal...

जरा आहिस्ता चल जिन्दगी,
तुझे थोडा जी तो लूँ |

यूँ इम्तेहाँ पे इम्तेहाँ न ले,
तुझे थोडा परख तो लूँ |

तेरे हर पहलु को नजर भर देख लूँ,
थोडी ठहर जरा, तेरी खामोश नजरो के ईशारो से कुछ सीख लूँ |
कभी गिरती तु कभी सम्भलती,
फिर तेज रफ्तार से दोडती,
कभी तन्हा कभी अकेली,
थोडी ठहर जरा,
मैं भी तेरे साथ हो लूँ |

कई रूप है तेरे कई रंग तेरे,
हसीनाओं से नखरे तेरे,
यूँ अकेली चलेगी कब तक,
थोडी ठहर जरा,
मैं भी तेरे साथ हो लूँ |

मंद शीतल पवन सी तु,
कभी तुफाँ लिए अपने अन्दर,
निर्मल स्वच्छ चाँदनी सी तु,
कभी सूरज की तपन सी लगे,
बिखरी हुई है तु यहां वहां,
थोडी सी जरा तुझे संवार लूँ,
थोडी ठहर जरा,
मैं भी तेरे साथ हो लूँ |

क्यों खोई है तु खयालों मे,
भविष्य की आशाओं मे,
जी लेने दे इनपलों को जो आज है,
कहीं कल की आघोश मे ये खो न जाये,
आ हाथ मेरा तु थाम ले,
चल मेरे साथ मे,
कि तेरी खुबसूरती को थोडा निखार लूँ,
थोडी ठहर जरा,
मैं भी तेरे साथ हो लूँ |

jee lo,,....

तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश न कर
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,
उसमे उलझने की कोशिश न कर
चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
उसमे सिमटने की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे,
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर
जो मिल गया उसी में खुश रह,
जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा,
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर !

इंतज़ार

                                                                पल जब इंतज़ार का हो  कुछ इस तरह इंतज़ार करना जैसे जहां में तेरे लिए बस मैं ही ...