Wednesday, April 12, 2017

Baal Adhikaar.....

बच्चे जग की बडी नियामत

ऐसी भी क्या आई कयामत

इनके नन्हे-नन्हे हाथ

करते रहें काम दिन रात

जूठन मांजें जूठन खाएं

खेल कूद मस्ती को भुलाएं

कभी खडे हो सडक किनारे

माल बेचने लगें बेचारे

कभी करते ये जूते साफ़

ये कैसा इन संग इंसाफ़ ?

बेचें फ़ल पर खुद न खाएं

बोझा कंधों पर उठाएं

कभी भीख में हाथ बढाएं

खेतों में जा काम कराएं

कहां खो गया इनका बचपन ?

मरा हुआ क्यों इनका मन ?

भोलेपन पर भारी काम

बचपन में भी नहीं आराम

नींद चैन और खेल भी खोया

छुप-छुप कर ये कितना रोया

क्यों न किसी नें इनको जाना

प्यारा बचपन न पहचाना

स्कूल और दोस्तों से दूर

क्यों भाग्य इनका क्रूर

आओ मिल अभियान चलाएं

बाल-श्रम को जड से मिटाएं

खो न जाए इनका बचपन

न रोए कोई नन्हामन

भर जाए खुशियों से बचपन

दुनिया का अनमोल रत्न

खो न जाए बाल-मुस्कान

दबें नहीं इनके अरमान

आओ मिलकर करें विचार

इन बच्चों की सुनें पुकार

जीने का इन्हें भी अधिकार

न हो बचपन का तिरस्कार

गया बचपन न लौट के आए

आओ हम बचपन को बचाएं

बाल-श्रम को जड से मिटाएं

आओ मिल अभियान चलाएं

इंतज़ार

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