Monday, November 28, 2016

हैं ये कैसे पल...

क्यूँ पास होके भी दूर रहना चाहें
लेकिन वोह हर समय याद आये
क्यूँ चुप रह के भी कुछ कहना चाहे
लेकिन वोह दिल को समझ ही न पाये
हैं ये कैसे पल
क्यूँ कुछ बोलके भी ये लब चुप रहना चाहे
लेकिन मन चुपके से कुछ कह जाये
क्यूँ खुश होके भी आखें खारी होना चाहे
लेकिन वोह इस दर्द को महसूस ही ना कर पाये
हैं ये कैसे पल
क्यूँ साथ होके भी अकेला होना चाहे
लेकिन वोह हर ख़याल में करीब आये
क्यूँ सपना देख के भी मुस्कराना ना चाहे
लेकिन वोह हुमे अपना बना ही ना पाये
हैं ये कैसे पल
क्यूँ दिल में बसा के धड़कन को रोकना चाहे
लेकिन वोह सांस बनके वापस दिल धड़का जाये
क्यूँ बाहों में समा के भी अलविदा कहना चाहे
लेकिन वोह हमपे एतबार ही ना कर पाये
हैं ये कैसे पल
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क्यूँ इज़हार करके भी इंकार करना चाहे
लेकिन शब्दों में ये प्यार हम बयान ना कर पाये
क्यूँ प्यार करके भी जख्म देना चाहे
लेकिन दिल को रोने से भी हम रोक ना पाये
हैं ये कैसे पल
बदल दो इनको, मिटा दो इनको
नहीं चाहिए ऐसे पल
जो भुला दे तुमको
नहीं चाहिए ऐसे पल
जो रुला दे हमको.............

Friday, November 11, 2016

Ek Zindagi...

कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी
कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .
जिससे हर रोज नये-नये  सबक मिलते हैं
यथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी कड़ी है ज़िन्दगी . . . . . .
जिसे कोई न समझ सके ऐसी पहेली है ज़िन्दगी
कभी तन्हाइयों में हमारी सहेली है ज़िन्दगी . . . . . . .
अपने-अपने कर्मों के आधार पर मिलती है ये ज़िन्दगी
कभी सपनों की भीड़, तो कभी अकेली है जिंदगी . . . . . . .
जो समय के साथ बदलती रहे, वो संस्कृति है जिंदगी
खट्टी-मीठी यादों की स्मृति है ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई ना जान कर भी जान लेता है सबकुछ, ऐसी है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए उलझी हुई पहेली है ज़िन्दगी . . . . . . . .
जो हर पल नदी की तरह बहती रहे ऐसी है जिंदगी
जो पल-पल चलती रहे, ऐसी है हीं ज़िन्दगी . . . . . . . .
कोई हर परिस्थिति में रो-रोकर गुजारता है ज़िन्दगी
तो किसी के लिए गम में  भी मुस्कुराने का हौसला है ज़िन्दगी . . . . . .
कभी उगता सूरज, तो कभी अधेरी निशा है ज़िन्दगी
ईश्वर का दिया, माँ से मिला अनमोल उपहार है ज़िन्दगी . . . . . . . .
तो तुम यूँ हीं न बिताओ अपनी जिंदगी . . . . . . . . 
दूसरों से हटकर तुम बनाओ अपनी जिंदगी
दुनिया की शोर में न खो जाए ये तेरी जिंदगी . . . . . . .
जिंदगी भी तुम्हें देखकर मुस्कुराए, तुम ऐसी बनाओ ये जिंदगी.........

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Friday, November 4, 2016

प्यार जिन्दगी है: एक प्यारी सी प्रेम कविता

वो पुछती है ,
मैं उससे इतना प्यार  क्यों करता हूँ ? ?

                                                                                         मैंने कहा एक तमन्ना हैं
तुम्हें पाने की. . . . .
वो कहती है ,
हर वक्त उदास क्यों रहते हो ? ?

मैनें कहा कोशिश है
तुम्हें हर खुशी दिलाने की. . . . .
वो कहती है ,
हर वक्त सोचते क्यों रहते हो ? ?

मैनें कहा आदत हो गई है
तुम्हें ख्यालों में अपना बनाने की . . . . .
वो कहती है ,
मैं न मिली तो ? ?

मैनें कहा तो तम्मना है
ये जिन्दगी मिटाने की. . . . .
वो कहती है ,
तुम्हें क्या मिलेगा मर कर ? ?

मैनें कहा एक उम्मीद ,
अगले जन्म में तुम्हें अपना बनाने की . . . . .

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Sunday, October 23, 2016

Maa,,,,,

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है
जिसके पास माँ नहीं वो बड़ा बदनशीब है।
माँ की आँचल की छाया सब की नसीब बनाया
माँ के आशीष के आगे कोई दुःख टिक न पाया
माँ के आशीष से सिकंदर बना महान
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।
माँ की ममता और प्यार जिस से ए संसार
जिस के पास माँ नहीं वो है लचार
माँ से जगत माँ से संसार
माँ न होती तो कुछ न होता
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।
माँ हमें देती आचार ब्यवहार और संस्कार
यही गुण करते हैं जगत निर्माण
माँ जैसी होंगी दुनियाँ वैसी होगी
माँ ही करती है जगत निर्माण
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।
माँ है ममता का सागर दृढ़ता वीरता सहनशीलता और गम्भीरता में आगर
माँ है करुणा का सागर
इसके आगे सब तुछ्य यहाँ पर
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है
कहे नरेन्द्र सुनो साथी
मेरी बात का बांध लो गांठी
माँ का न करो अपमान
वर्ना फटेगी यह धरती
आकाश से बरसेगा आग
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।
#siddhant

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Friday, October 21, 2016

Khuda Se Milne Ki Jidd........

पत्थर तराशता एक शक्स , खुदा से मिलने की ज़िद कर बैठा ।
हाथ लकीरों से भरे थे पहले , अब मगर छालो से भर बैठा ।
मोम की तरह पत्थर भी अगर पिघल जाते ,
हर किसी को जहाँ में खुदा फिर मिल जाते ,
ढूँढ ने जो चला , जिन्दगी को मैं , जिन्दगी से ही हाथ धो बैठा ।
हाथ लकीरों से भरे थे पहले , अब मगर छालो से भर बैठा ।
जब खुशियाँ थी , तो पास कितने चेहरे थे ,
हमको लगता था, उनसे रिश्ते कितने गैहरे थे ,
दो घड़ी क्या मिला मैं ग़म से , साथी पुराने सभी मैं खो बैठा ।
हाथ लकीरों से भरे थे पहले , अब मगर छालो से भर बैठा ।
खूशबू सी आरही थी , जिन्दगी के गुलशन से ,
रोशन था हर नज़ारा , महके हुऐ चमन से ,
मुस्कुराते-मुस्कुराते क्या हुआ ,बस यूँ ही अचानक मैं रो बैठा ।
पत्थर तराशता एक शक्स , खुदा से मिलने की ज़िद कर बैठा ।
थक गया मैं देख-देख कर गुनाह होते हुऐ ,
देखता हुँ मैं , खुद को भी तबाह होते हुऐ ,
घर से निकला बदलने दस्तुरे-जहाँ, घर का पता ही मैं खो बैठा ।
पत्थर तराशता एक शक्स , खुदा से मिलने की ज़िद कर बैठा ।
बड़ी प्यारी थी जिन्दगी , जिन्दगी के बिना ,
बेवजह समझने चला जीवन को दर्द के बिना ,
हँसते मुस्कुराते चेहरे को ,अचानक अश्क के दागो से भर बैठा ।
पत्थर तराशता एक शक्स , खुदा से मिलने की ज़िद कर बैठा ।
पत्थर तराशता एक शक्स , खुदा से मिलने की ज़िद कर बैठा ।
हाथ लकीरों से भरे थे पहले , अब मगर छालो से भर बैठा ।
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Tuesday, October 18, 2016

Nirasha.....

Badi ajeeb hai ye zindagi,
khushi ek pal ke liye
dukh verson baras ke liye
koi sukh chahta hai is jeevan me
to usse dukhon ki bhari bori hi mil jati hai
jahan foolon ke milne ki aaasha hai
wahan katon ki sej bich jati hai
Badi ajeeb hai ye zindagi.....................
Kuch satya kuch ghooth
Kabhi aasha kabhi nirasha
kabhi sawpno ko pane ki lalasa
inhi me ulagh kar rah gayi hai zindagi
Badi ajeeb hai hai ye zindagi................
Kabhi jati kabhi varn
Kabhi bhasha kabhi dharm
viwadoke ghere me hai aaj ki sanskriti
kaise kahen, kya yahi hai zindagi?
badi ajeeb hai ye zindagi...........
Pyar doge pyar milega
satkar doge samman milega
mehanat se har chij hai sambhav
kam se chori hai dukh ka anubhav
ham jaisa hain sochte nahi hai aisi zindagi?
fier bhi log kahte hain,
badi ajeeb hai ye zindagi.............
Manav jeevan ek baar hai mita
nahi milta hai barambar
har manav se pyar karen
nafrat ko de dutkar
Krodha chod dhairya apnayen
paap chod punya kamayen
ye dharti hai dharam ki
jitni marji fasal ugayen
Ek baar yatan kar dekhen-
Hai khusnasheeb ye zindagi
nahi hai ajeeb ye zindagifir bhi log kahte hai,
badi ajeeb hai ye zindagi.........

Friday, October 14, 2016

What Is a Father.....

“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”
“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”
“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”
father daughter: Father and children playing on the beach at the sunset time. Concept of friendly family.

Sunday, October 2, 2016

सफल लोगों के बारे में एक असफल Inshan की कविता

मेरे आसपास कई सफल लोग हैं
अपनी शोहरत के गुमान में डूबे हुए।
जब भी उन्हें कोई पहचान लेता है
वे खुश हो जाते हैं
और अक्सर ऐसे मौकों पर अतिरिक्त विनयशील भी
जैसे जताते हुए कि उन्हें तो मालूम भी नहीं था कि वे इतने सफल और प्रसिद्ध हैं
और बताते हुए कि उन्हें तो पता भी नहीं है कैसे आती है सफलता और कैसे मिलती है प्रसिद्धि।
उनके चेहरों पर होती है थोड़ी सी तृप्त और मासूम मुस्कुराहट
और साथ में हाथ झटकते हुए वे कभी-कभी मान भी बैठते हैं
कि जो भी मिला संयोग से मिलावरना उन जैसे काबिल लोग और भी हैं
कुछ तो उनसे भी काबिलजो उनके साथ बैठकर कभी अपनी कलम और कभी अपनी कुंठा घिसते हैं।
इस अर्द्धसत्य में झूठ की मिलावट बस इतनी होती है
कि जिसे वे संयोग बताते हैंउसे संभव करने के लिए उन्होंने जो कुछ किया
उसे वे छुपा ले जाते हैं।
सच है कि उनको देखकर थोड़ी सी हैरानी होती है,
थोड़ा सा अफ़सोस भी और थोड़ी सी कुंठा भी।
कभी-कभी लगता हैकिस्मत उन पर ज़्यादा मेहरबान रही
कि उन्हें वह सब मिलता गयाजिसकी कामना दूसरे करते हैं।
कभी-कभी लगता हैजब मांगनेहासिल करने या छीनने का वक्त आया
तो ज़ुबान तालू से चिपक गईआंख नीची हो गईहाथों ने हिलने से इऩकार कर दिया।
हकीकत जो भी होएक बात समझ में आई
कि सफलता ऐसे ही नहीं मिलती है,
उसके कुछ छोड़ना भी पड़ता हैकुछ छीनना भी।
पहले अपने-आप को सफलता के लिए सुपात्र बनाना पड़ता है
जिसमें उचित जगह पर रिरियाने कीउचित जगह पर हंसने कीउचित जगह पर तारीफ़ करने कीउचित जगह पर निंदा करने कीउचित जगह पर चीखने की भी समझ और आदत विकसित करनी पड़ती है
जिसमें शुरू में तकलीफ होती हैलेकिन बाद में सब ठीक हो जाता है।
सफलता की गर्द धीरे-धीरे दिल के बोझ से ज़्यादा वज़नदार हो जाती है
और आदमी को हलका-हलका लगने लगता है।
फिर एक बार आप सफल हो गए तो आगे सफलता आपको बनाती है
कुंठित लोग पीछे छूट जाते हैं
अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते
ख़ुद के न बदलने की मायूसी के मारे
और ऐसी कविताएं लिखते हुएजिनमें नाकामी के लिए तर्क तलाशे जाते हैं।
लेकिन मेरे पास कोई तर्क नहीं है
इस फर्क के सिवा कि लिखने और बोलने से पहले आसपास देखने और तोलने का अभ्यास कभी बन नहीं पाया।
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Sunday, September 25, 2016

ZiNdAgi ki DESTINY.....

ख़ुशी और गम से पre
सीखना है जीवन जीna
अपने और गैरों के बीच का खालीपn
सीखना है प्रेम से सीna
ख़ुशी और गम से पre
सीखना है जीवन जीna.
पाने और खोने से ऊपr
कभी तो उठ पाऊँga
कभी तो बन पाऊँga
एक निर्मल, निश्छल झरna.
ख़ुशी और गम से पre
सीखना है जीवन जीna.
मोह के धागों ने उलझाya
अपेक्षाओं ने मन को बुझाya
अब उलझनों से साri
मुझे है सुलझna.
ख़ुशी और गम से पre
सीखना है जीवन जीna
बन्धनों ने बहुत तोda
ख्वाहिशों ने कहीं का ना छोda
मुक्त होकर सबse
निस्पृहता के आकाश में है उड़na.
ख़ुशी और गम से पre
सीखना है जीवन जीna.
                                                                                                                                                                                                    
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Tuesday, September 6, 2016

Muskaan2016...

चेहरे का नूर ही कुछ अलग सा लगता है,
लोग कहते है कि मुस्कान हर दर्द को छिपा लेती है,
वही मुस्कुराहट किसी की खुशी की वजह बन जाती है,
किसी के जीवन में नई आशाओं का संचार करती है,
किसी के जीवन से दुखों का नाश करती है,
चेहरे पर मुस्कान की खाशियत ही यही है।
अपनों के चहरे की मुस्कान सूकून देती है,
चिन्ताओं से मुक्ति का अहसास देती है,
पूछ ले जरा कोई मुस्कान के साथ तकलीफ आपकी
तो उस मायूसी से भरे संसार में नए हौसलों को उड़ान देती है।
किसी मासूम बच्चे के चहरे की मुस्कान,
दिल में जीने की नई उमंग जगाती है,
कह दे कोई मुस्कुराकर साथ हूँ मैं तेरे हर पल,
तो वो मुस्कान अकेलेपन के डर को भी दूर कर जाती है।

इंतज़ार

                                                                पल जब इंतज़ार का हो  कुछ इस तरह इंतज़ार करना जैसे जहां में तेरे लिए बस मैं ही ...