Thursday, March 23, 2017

खुदा ये बचपन क्यों…

APne Bachpan K naam ye kavita sabko samarpit..

कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता,
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता…
सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलाने,
अब तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता..
वो पक्के रंग, वो पिचकारियां, वो गुलाल,
अब वो वैसा होली का त्यौहार नहीं आता…
वो करतब जमूरे के, वो साइकल चैम्पियन,
अब गली में कोई ऐसा फनकार नहीं आता…
वो जिद खिलोने की वो चॉकलेट के लिए लड़ना,
अब वो पापा की डांट माँ का इंकार नहीं आता…
वो होमवर्क के लिए मार वो टीचर से चुगली,
खुदा ये बचपन क्यों बार बार नहीं आता…!

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