Saturday, May 4, 2019

तू समंदर हैं तुझमे शाम सी ढल रही हूँ मैं-rply

हां मैं समन्दर हूँ जिसमे तू मुझमें शाम सी ढल रही है..
तेरी ख़ुशी के एहसास और अल्फाज़ पढ़ रहा हूँ मैं..
इसी समन्दर में तेरी चांदनी को गढ़ रहा हूँ मैं,
मुकम्मल है हर तेरी हर एक अदा,
जिस पर ये दिल है तुझपर फ़िदा..
हां मैं तेरा वही समन्दर हूँ जिसमे तू मुझमें शाम सी ढल रही है..
तेरे प्यार के हर अंदाज़ को मैं अपना बनाऊंगा,
जाना तुझको मैं खुद से भी ज्यादा चाहूँगा,
रूह अगर तुझसे मुझको दूर करेगी,
मैं उस खुदा से भी तेरे लिए लड़ जाऊंगा..
हां मैं तेरा वही समन्दर हूँ जिसमे तू मुझमें शाम सी ढल रही है..
तेरी मेरी सांसें अब तो एक हैं,
जीवन के हर मोड़ में तेरा साथ नेक है,
मुझको खुद की पहचान तूने ही करनी सिखाई है,
तू ही है वो जो मेरे जीवन में परी जैसी समाई है,
हां मैं तेरा वही समन्दर हूँ जिसमे तू मुझमें शाम सी ढल रही है..
तेरी झुकी नज़रों का इशारा हम जानते हैं,
खुद से ज्यादा तुझको अपना मानते हैं,
वक़्त कोई भी हो कैसा भी हो साथ रहेंगे,
जीवन के हर मोड़ में आज़ाद रहेंगे,
हूँ मैं समन्दर जो शाम को अपनी चांदनी मानता है,
हर पल तुझको ये दिल हर घड़ी अपनी रानी मानता है,
हां मैं तेरा वही समन्दर हूँ जिसमे तू मुझमें शाम सी ढल रही है..
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