Friday, February 23, 2018

Maafiiiiiii................

रूठे हुए हो तुम मुझसे
हाँ,,रूठना तुम्हारा जायज हे
क्योंकि गलती थी मेरी ,,अपनी
गलती पे मैं शर्मिंदा हूँ

पर सारी गलती मेरी तो नहीं
क्योंकि,,बात तुमने मेरी सुनी नहीं
उस अनसुनी बात पर
बिछुड़े रहे हम दोनों

कोई तो तेरी भी मजबूरी रही होगी
दिल तो चाहता था तेरा भी मुझसे मिलना
पेरों में तेरे कोई तो जंजीर पड़ी
होगी किसी रिश्ते की

आज दिलों मे  दर्द हे
तेरे भी ,,मेरे भी
पर हम मिले कैसे
प्रश्न;; हम दोनों के
बीच में हे बस ये ही

जब समय ने सुनी पूरी बात
नमकीन पानी सा उसके भी
गालों  पे यहाँ वहां  बह  गया

समुन्द्र था जो ठहरा आखों में मेरी
हाथों में उसके बह गया ,,एक दुसरे
को चुप कराने की कोशिश में
हम दोनों ही रो पड़े

शब्द तो हमारे दरम्यान ना थे
ख़ामोशी में उस अँधेरे  में
दोनों रोते -रोते सो गये

देख रहा था ख्बाव या था  नीदों में
ऐसालगा आवाज देकर
बुला रही थी तुम मुझे

शिकवे शिकायतें जब चालू  हुए
आंसू ना फिर रुकने को हुए
एक पतली सी लकीर
जो थी हमारे बीच वो हमारे
ही आंसुओं में बह गई

जो गांठ पड़ी थी हमारे बीच
वो दिलो से हमारे निकल गयी
देते थे जो हम एक दुसरे पे जान
क्यों हम दुश्मन किस बात पर हुए

जब तुमने सुनी मेरी पूरी बात
जब रखे मैंने अपने जज़्बात
वही पुरानी हंसी दोनों के
दिलो से निकल पड़ी

अपनी गलती की मांगी थी माफ़ी
और माफ़ी मांगी अपने बनाने वाले से
माफ़ उसने भी मुझको किया

जिसने करवाई थी मुझसे गलती
देख तू ही वो अब कहाँ रहा

गलती ना उसकी ना मेरी ना तेरी
यह सब समय का फेर था
समय ने ही जुदा किया हमको

समय आया तो समय ने ही
एक दुसरे  से हमे जोड़ा
हम तो कठपुतली तीनो बने
करने वाला तो कोई और था

यह कोई शायरी नहीं
ना ही कोई कविता है
माफीनामा है प्यार भरा
पढकर शायद वो माफ़ करे मुझको
यह मेरा उसके लिए
प्यार भरा माफीनामा

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